उत्तरवाहिनी शिप्रा नृसिंह घाट के समीप दो भागों में बंटकर फिर एक हो जाती है। बीच में टापू सा बन गया है। यह टापू की जमीन किसान की निजी है। चारों तरफ नदी और बीच में खेती होती है। कर्कराज के पास से नदी दो भागों में बंट कर रामघाट की तरफ जाकर फिर एक धारा बन जाती है। क्षेत्र के रहवासियों का कहना है कि कभी यहां एक ही धारा थी। कटाव के कारण दो धाराएं बन गई। इस कारण यहां नदी का सौंदर्य भी बढ़ गया है।
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