गुलाब चक्कर के पास मच्छी दरवाजे में बने कमरे में रहने वाली 80 वर्षीय वृद्धा की मंगलवार को मौत हो गई। मानसिक रूप से कमजोर 55 वर्षीय बेटा लाश के साथ ही रहा । लाश सड़ने पर शुक्रवार को बदबू फैली तो आसपास के लोगों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस पहुंची तो दरवाजा बंद कर बेटा चिल्लाने लगा क्यों बताऊं कि मेरी मां मर गई है। मुझे किसी का अहसान नहीं लेना। घर के अंदर घुसने की कोशिश करने पर उसने पत्थर फेंके फिर सब्जी का चाकू उठा लिया। शव वाहन के साथ आए सफाईकर्मी युवकों ने बेटे को काबू में कर कमरे से निकाला और रस्सी से बांध दिया। तब पुलिस शव को जिला अस्पताल भिजवा सकी।
100 साल पहले नारायणी की मां जोधपुर से आई थीं
रामबाग स्थित फर्नीचर के कारखाने के संचालक अमित सिसौदिया ने बताया परदादी की शादी में नारायणीबाई की मां बांदी के रूप में आई थी। नारायणीबाई की शादी रतलाम में हुई। 60 साल पहले पति सुरेंद्रसिंह की मौत हो गई। उसके दो बेटे थे। नारायणीबाई भी उनके यहां काम करती थी। बड़ा बेटा रमेश नशे का आदी हो चोरी करने लगा तो उसे हटा दिया। थावरिया बाजार में कमरा दिलाया था। 40 साल से नारायणीबाई दो बेटों के साथ मच्छीदरवाजे के पास कमरे में रहने लगी। जरूरत पड़ने पर मदद मांगने आती थी। 20 साल पहले टायफाइड के कारण छोटे बेटे की मौत हो गई। शराब और नशे से रमेश की मानसिक हालत बिगड़ गई। नारायणीबाई लोगों के घरों में काम कर रमेश को पाल रही थी। तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर लॉकडाउन से पहले उसका इलाज करवाया था। रमेश ने बताया तो जुलाई में नारायणीबाई को जिला अस्पताल भिजवाया जहां डाक्टर ने भर्ती नहीं किया। गोलियां दिलवाकर रमेश घर ले आया था। मंगलवार को मौत होने के बाद रमेश ने जानकारी नहीं दी।
मानसिक रूप से कमजोर है बेटा
एसआई राधेश्याम नागर ने बताया 80 वर्षीय वृद्धा नारायणीबाई पति सुरेंद्रसिंह 40 साल से मच्छी दरवाजे में बने कमरे में मानसिक रूप से कमजोर बेटे रमेश के साथ रहती थी। लोगों के घरों में काम कर बेटे को पाल रही थी। दमे की बीमारी से पीड़ित महिला की मंगलवार को मौत हो गई। जिला अस्पताल में पोस्टमार्टम के बाद काकाणी वेल्फेयर सोसायटी ने भक्तन की बावड़ी में बेटे रमेश से अंतिम संस्कार करवाया। सीए रवि डफरिया ने आर्थिक मदद की।
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