
पिपलिया में मुख्य मनासा मार्ग पर राजीव गांधी उद्यान के पास बेशकीमती जमीन पर चल रहे निर्माण को लेकर मप्र लघु वेतन कर्मचारी संघ ने आपत्ति ली। कलेक्टर, एसपी, अनुविभागीय अधिकारी, तहसीलदार व पिपलिया थाना प्रभारी को शिकायत भेजी। इसमें समस्त दस्तावेज को संलग्न कर बताया कि उक्त भूमि कर्मचारियों के लिए आवंटित थी। जिसका प्रकरण इंदौर हाईकोर्ट में चल रहा है, वहीं इसका स्थगन भी मिला हुआ है।
मप्र लघु वेतन कर्मचारी संघ के तहसील अध्यक्ष जगदीशचंद्र खत्री सहित पदाधिकारियों ने दस्तावेज सहित कलेक्टर को भेजी शिकायत में बताया कि पिपलिया में मनासा मार्ग पर राजीव गांधी उद्यान के पास सर्वे नंबर 54/6 व 54/4 कुल रकबा 810 आरी जमीन है। यह 31 मार्च 2001 में जिला योजना समिति की बैठक में प्रभारी मंत्री रहे हुकुमसिंह कराड़ा ने कर्मचारियों के भवन के लिए आवंटित की थी। यह फाइल अनुमोदन के लिए शासन स्तर पर लंबित है। जमीन पर लोगों का कब्जा होने के कारण आज तक सीमांकन नहीं किया गया।
इसको लेकर नारायणगढ़ व मंदसौर न्यायालय में भी प्रकरण चले। बाद में इंदौर हाईकोर्ट में अपील की, इस बीच प्रकरण क्रमांक 10488 में 6 मई 2014 को हाईकोर्ट ने इस जमीन को लेकर स्टे दिया था, वर्तमान में इंदौर में हाईकोर्ट में प्रकरण विचाराधीन है। इस बीच कुछ दिनों पूर्व 30 बाय 50 जमीन पर निर्माण शुरू कर दिया गया। कोर्ट में जमीन को लेकर प्रथम अपील (डब्ल्यू पी 10488) द्वितीय (एसए 462) एवं दो कंटेम्प्ट पीटिशन क्रमांक (सीओएनसी 437) व (सीओएनसी 87) पर हाईकोर्ट में फैसला होना है।
संघ पदाधिकारियों ने बताया न्यायालय में प्रकरण विचाराधीन होने के बावजूद शासकीय भूमि पर कब्जाधारी धापूबाई पति स्व. अजय चौधरी ने उक्त भूमि को मुंदेड़ी निवासी कृष्णपालसिंह पिता लालसिंह शक्तावत व पिपलिया निवासी गोविंद पिता लक्ष्मीनारायण पोरवाल को बेच दी और अनुविभागीय अधिकारी मल्हारगढ़ कार्यालय ने इसका डायवर्शन कर दिया। वहीं नगर परिषद पिपलियामंडी ने इसका नामांतरण कर दिया।
हमारे पास समस्त दस्तावेज व निर्माण की अनुमति
निर्माण करने वाले कृष्णपालसिंह शक्तावत व गोविंद पोरवाल का कहना है कि हमने उक्त जमीन धापूबाई पति स्व. अजय चौधरी से क्रय की है। इसकी हमने रजिस्ट्री कराई है, तहसील कार्यालय में डायवर्शन के बाद राजस्व विभाग ने हमें जगह नपती कर दी है, उसी जगह का हमने नामातंरण भी कराया है। सभी दस्तावेज हमारे पक्ष में है, इसके बावजूद लोग अनाश्वक रूप से शिकायत कर हमें परेशान कर रहे हैं।
0.53 जमीन छोड़कर चल रहा कोर्ट में मामला
पटवारी दिग्विजयसिंह चुंडावत का कहना है 0.53 आरी जमीन को छोड़ने के बाद 0.757 हेक्टेयर जगह को लेकर केस कोर्ट में है। नारायणगढ़ कोर्ट ने 2004 में अजय चौधरी को मालिकाना हक देने के आदेश दिए थे। अजय की पत्नी धापूबाई ने कृष्णपालसिंह व गोविंद पोरवाल को बेचा है। वर्तमान में 3 बीघा भूमि पर अतिक्रमण है यही भूमि शासकीय कर्मचारियों के भवन के लिए आवंटित थी, इस लेकर केस विचाराधीन है।
अनुमति नहीं होने पर रुकवाया है निर्माण
सीएमओ गरिमा पाटीदार का कहना है कि जमीन पर निर्माण कर रहे कृष्णपालसिंह व गोविंद के पास रजिस्टर्ड दस्तावेज हैं, उनके पास रजिस्ट्री, डायवर्शन होने के बाद ही नप में नामांतरण किया है, फिलहाल निर्माण की अनुमति नहीं होने से कार्य को रुकवा दिया है।
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