दबंग रिपोर्ट कोलारस-
जैसा कि विगत दिनांक 10 सितंबर सोमवार को डीजल ,पेट्रोल ,गैस के बढ़ते दामों को लेकर जहां कांग्रेस ने भारत बंद का आव्हान किया था तो वहीं विगत दिनांक 6 सितंबर को एससी, एसटी एक्ट को लेकर हुए भारत बंद का बवाल भी आमजन के मन में घर किए हुए था ,नतीजन कांग्रेस के इस बंद को सवर्णों का सहयोग नहीं मिला और यह भारत बंद फ्लॉप साबित हुआ। लेकिन यहां समझने वाली बात तो यह है कि 6 सितंबर के भारत बंद को आमजन का खूब सहयोग मिला और पूर्णता बंद सफल भी रहा तो जाहिर सी बात है कि प्रत्यक्ष ना सही लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से सभी लोगों का सहयोग इसमें रहा होगा ,जब जाकर यह बंद सफल हो सका था और यहां सबसे बड़ी बात तो यह है कि दोनों ही बंद में मुद्दा भिन्न-भिन्न था ,लेकिन 6 सितंबर का मुद्दा एससी ,एसटी एक्ट को लेकर सवर्णों का मुद्दा था जिसमें नेताओं की कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली और 10 सितम्बर का मुद्दा भी सभी आमजन का था क्योंकि आज पेट्रोल ,डीजल, गैस का उपयोग भी सभी कर रहे हैं साथ ही इन के बढ़ते दामों का प्रभाव भी सभी पर देखने को मिल रहा है ,लेकिन इस मुद्दे पर बंद का आव्हान एक विशेष राजनैतिक दल कांग्रेस ने किया था और यह बंद विफल हो गया ,यहां आमजन ने यह तो साबित कर दिया कि बिना जनता जनार्दन के सहयोग के कोई राजनीति सफल नहीं हो सकती यह लोकतंत्र है।
राजनीतिक अखाड़े में तब्दील हुआ कोलारस-
आज जहां कांग्रेस अपने भारत बंद को लेकर नगर के मुख्य मार्गो से रैली निकाल रही थी तो वहीं दूसरी ओर चंद दर्जन भर लोग सपाक्स की आड़ लेकर इन कांग्रेसियों को काले झंडे दिखा रहे थे काले झंडों का यह सिलसिला किसी दुकानदार आमजन या सवर्ण का ना होकर विपक्ष राजनीतिक पार्टी भाजापा के लोगों का था जो दर्जनभर लोग अपनी बाइकों से घूम-घूमकर अलग-अलग स्थानों पर इन कांग्रेसियों के आड़े आ रहे थे, जिसे देखकर यहां ऐसा लग रहा था कि मानो कोलारस राजनीतिक अखाड़े में तब्दील हो रहा है।
खुले रहे कांग्रेसियों के प्रतिष्ठान-
जिस राजनैतिक दल ने इस बंद का आव्हान किया इस को सफल बनाने के लिए रैली निकाली, तो वहीं दूसरी ओर उसी दल के नेताओं के प्रतिष्ठान खुले हुए नजर आए ,आखिर कांग्रेस का यह कैसा बंद था जहां खुद कांग्रेसियों के प्रतिष्ठान खुले रहे।
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