दबंग की कलम से -
शिवपुरी जिला मुख्यालय से लगभग 10 किलो मीटर की दूरी पर स्थित ग्राम कोटा भगौरा में विगत दिवस 25 नवम्वर को हुऐ दौहरे हत्याकाण्ड में जहाॅ समय बीतने के साथ-साथ ही नये-नये खुलासे सामने आ रहे हैं तो बहीं इस हत्याकाण्ड में पुलिस के हाथ अभी खाली हैं।हालांकि सभी फरार नामजद आरोपियों नवल पुत्र रामचरण पाल आयु 45 वर्ष, बृजेश पुत्र जगदीश बैरागी आयु 38 वर्ष, मोनू पुत्र नवल सिंह पाल आयु 22 वर्ष, महेश पुत्र जगदीश बैरागी आयु 40 वर्ष, मुन्ना पुत्र रामचरण पाल आयु 40 वर्ष, अशोक पुत्र श्यामलाल ओझा आयु 36 वर्ष, हरिओम पुत्र पूरन ओझा आयु 35 वर्ष, देवेन्द्र पुत्र गौरीशंकर बाथम आयु 24 वर्ष, भरत पुत्र कमरलाल धाकड़ आयु 36 वर्ष निवासीगण ग्राम कोटा पर शिवपुरी पुलिस अधीक्षक द्वारा दस-दस हजार रूपये का इनाम घोषित कर दिया गया है साथ ही इस हत्याकाण्ड में लापरवाही बरतने बाले दो पुलिस कर्मीयों को भी लाइन हाजिर किये जाने की खबर है यहाॅ गौरतलब होगा कि उक्त घटनाक्रम खेतों में पानी के विवाद को लेकर हुआ था जिस संबंध में पूर्व में भी पुलिस को जानकारी दी गई थी लेकिन पुलिस द्वारा मामले को गंभीरता से न लिये जाने के चलते इस मामूली विवाद ने इतना उग्र रूप धारण कर लिया जिसमें 2 लोगों की मौत सहित 5 अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हो गये।
इसके अलाबा अगर इस मामले को जमीनी हकीकत पर रखकर देखा जाऐ तो इसमें पीड़ित परिवार को पहुंची भारी क्षति जिसकी पूर्ति किसी भी प्रकार किया जाना संभव नहीं है तो दूसरी ओर आरोपीयों पर निर्भर परिवार के अन्य सदस्यों के जीवन पर पड़ने बाले प्रभाव को भी नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है।अर्थात उक्त विवाद से कुछ हासिल होना तो दूर बल्कि दोनों ही पक्षों को खासा नुकसान उठाना पड़ा है । अगर जिम्मेदारों की भूमिका यहां सक्रिय होती तो शायद आज यह स्थित निर्मित ही न होती।
सुत्रों के मुताबिक खेतों में नहर के पानी को लेकर काफी समय से दोनों पक्षों के बीच विवाद चल रहा था जिसकी सूचना भी कई बार देहात थाना पुलिस को दी गई थी लेकिन यहाॅ भी हालात बैसे ही बन रहे थे जैसे अक्सर सामने आते हैं कि पुलिस द्वारा अपने फर्ज और कर्तव्य से किनारा कर मामलों को अंदेखा कर दिया जाता है और नतीजन यह मामूली विवाद एक भयाभय घटना में तब्दील हो गया।
फलस्वरूप इस प्रसंग को दिया गया शीर्षक ‘‘आप चाहते तो शायद ऐ न होता’’ गलत नहीं होगा।
लेकिन इस प्रसंग को प्रकाशित करने से कुछ सही भी होगा यह कहना भी अतिश्योक्ति होगा , परन्तु इस घटना से प्रशासन को आगामी दौर के लिये सबक लेने की आवश्यक्ता है तथा पुलिस विभाग में नियमों को कड़ा किये जाने की अतिआवश्यक्ता है जहां किन्हीं विवादों में पुलिस की लापरवाही सामने आने पर विभाग द्वारा दोषीयों पर कड़ी कार्यवाही किया जाना चाहिऐ इससे समाज में हर कदम पर धूमिल होती पुलिस की छवि को सुधारा जा सके।
नोटः- उक्त प्रसंग में लेखक द्वारा बीते दिनों हुई इस घटना का उल्लेख करना किसी भी अपराध या अपराधी के पक्ष किसी प्रकार की भावना ब्यक्त करना नहीं है उक्त प्रसंग के माध्यम से यहाॅ केबल और केबल वर्तमान पुलिस की भूमिका को लेकर पुलिस विभाग को आईना दिखाना है।