सभी पाटकों को सर्व प्रथम दबंग का नमस्कार 
आज मीडिया-मिर्ची के इस अंक का आगाज शिवपुरी शहर की पत्रकारिता के एक चर्चित नाम से क्यों न किया जाऐ, 
इस किरदार में कहीं संघर्षों का दौर है तो कहीं कामियावी का किस्सा, कहीं परिवार की चिंता भी तो कहीं समाज की फिक्र, और यह चर्चित नाम है सेमुअल दास एक जाने-माने अखबार पत्रिका के जिला ब्यूरों जिनका आज जन्मदिन भी है।
तो सर्वप्रथम भाई को हमारी दबंग टीम और हमारे सभी पाठकों की ओर से जन्म दिन की हार्दिक वधाई 
तो आईऐ आज आपकी गहरी मुलाकात कराते हैं शिवपुरी शहर के जाने-माने वेवाक,निडर और निष्पक्ष कलम के कारीगर पत्रकार सेमुअल दास से जिन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के साथ ही कम्प्यूटर डिप्लौमा भी हासिल किया, इस समय सैम केबल और एक विद्यार्थी थे जिन्हें वयस्क होने के उपरान्त अब हर युवा की ही तरह नौकरी की तलाश थी यहां हम बात कर रहे हैं आज से लगभग 22 साल पुरानी जब कम्प्यूटर चलन में आ ही रहा था सो इन्हें भी उम्मीद थी कि कहीं न कहीं इनकी भी जुगाड़ हो ही जायेगी लेकिन भृष्टतंत्र में यह सरल बात न थी इसके बाद साहब ये उस समय के जाने-माने अखबार नव-भारत में पहुंचे जहां इन्हें बतौर कम्प्यूटर आॅपरेटर स्थान मिला, अब तक सैम हर उस युवा की ही तरह थे जिसके लिये अपनी नौकर केबल नौकरी ही है लेकिन फिर समय गुजरने के साथ-साथ आॅपरेटिंग के अलावा अब ये पत्रकारिता में भी दिलचस्पी लेने लगे थे जिसका कारण था कि अखबार लाइन में हर दिन कुछ नया देखने को मिलता था अपने शहर की सभी गतिविधियों की जानकारी होना इत्यादि सो सैम भी अब इसी रंग में रंगते चले गये।
लगातार नव-भारत में सात साल की लंबी सेवा देने के बाद अब इन्होंने दैनिक भास्कर में बतौर संबाददाता इंट्री की और अपनी काविलियत के बलबूते लगभग तीन साल काम किया और शहर में अपनी पहचान बनाई इसके बाद पीपुल्स समाचार आया जिसमे बतौर जिला संबाददाता इन्होंने इंट्री की जिसके बाद शहर में पत्रिका आया और इन्होंने भी पत्रिका में अपना हुनर आजमाने का मन बना ही लिया था लेकिन जैसे ही यह बात भास्कर के आलाकमानों तक पहुंची उन्होंने सैम को पुनः भास्कर में ही प्रमोशन पर आमंत्रित कर डाला, और भाई ने भी सहज भाव से यहां ज्वाइन कर लिया और लगभग 5साल भास्कर को दिये जिसमें 3साल ये भास्कर के जिला ब्यूरो भी रहे इस बीच अपने ही सहकर्मीयों के साथ आपसी मतभेदों टकरारों का दौर चला जिसके बाद इन्होंने भास्कर को अलविदा कह पत्रिका में अपनी आमद दर्ज कराई और पिछले लगभग चार साल से अब तक पत्रिका में बतौर जिला ब्यूरो कार्यरत हैं। और इस प्रकार पत्रकारिता इनके दिलो-दिमाग मं बसती चली गई इसी बीच इनकी सबसे शानदार और खास बात यह रही कि अभिमान इन्हें छू भी न सका और हमेशा की ही तरह आज भी सरल स्वभाव,मृदुभाषी स्वच्छ कार्यशैली ही इनका उत्तम परिचय है।
इनके द्वारा लिखी गई जनसमस्याओं आदि की खबरों पर जब प्रशासनिक कार्यवाहीयां होती थी तो सैम और भी उत्साहित हो जाते थे और हर समय अपनी कलम के माध्यम से लोगों की मदद करने का प्रयास करते थे यही बह मूल कारण था जिसने इन्हें पत्रकार बना दिया ।
आज जब आधुनिक पत्रकारिता के बिषय में इनसे चर्चा की गई तो बड़े ही सहज भाव से उत्तर देते हुऐ इनका कहना था कि आज के दौर में बेसक शोसल मीडिया सबसे आगे है और दिन व दिन इसकी गति वढ़ती ही जा रही है और वर्तमान समाज में इसकी भूमिका भी अह्म है लेकिन इसी बीच इसके नाकारात्मक पहलु भी ज्यादा हैं जिन्हें नकारा नहीं जा सकता है आज भले ही प्रिंट मीडिया पीछे रह गया हो लेकिन प्रिंट मीडिया का जो स्थान है उसे कोई नहीं ले सकता क्योंकि प्रिंट मीडिया एक भरोसेमंद माध्यम है जिसमें हर शब्द की सार्थकता है।
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