सचिव हरीश बैरागी पर गलत तरीके से रिकवरी निकाल, दे दिया एफआई आर का आदेश

दबंग रिपोर्ट शिवपुरी-
शिवपुरी जिले की पोहरी जनपद पंचायत के अंतर्गत आने बाली ग्राम पंचायत भदेरा के सचिव हरीश बैरागी पर राशि आहरण कर पंचायत में निर्माण कार्य न कराये जाने के संबंध में विगत दिनों जिला प्रशासन द्वारा एफआई आर दर्ज कराने का फरमान जारी किया गया है हालांकि उक्त सचिव पर एफआई आर कराने के लिये निकाला गया यह फरमान पहला नहीं है इससे पहले भी जिला प्रशासन के जिम्मेदार इस प्रकार के अन्य फरमान निकाल चुके हैं लेकिन आज दिनांक तक एफआईआर नहीं हो सकी जिसका कारण कुछ और नहीं बल्कि जिला प्रशासन के जिम्मेदारोें का गैर जिम्मेदाराना रवैया है।
मामला इस प्रकार है कि ग्राम पंचायत भदेरा में जिन निर्माण कार्यों की दुहाई देकर जिला प्रशासन द्वारा सचिव पर रिकवरी निकाल एफआईआर का फरमान जारी किया गया है बास्तव में वे सभी कार्य मौके पर मौजूद हैं लेकिन उस समय के वर्तमान सरपंच तथा पूर्व सरपंच के बीच चल रहे किसी विवाद के चलते उन कार्यों का मूल्याकन नहीं हो पाया था जिस पर प्रशासन द्वारा जांच कर उक्त सचिव को दोषी ठहराया गया था जिसके जबाब में सचिव द्वारा आरोप पत्र पस्तुत कर प्रशासन को सारी हकीकत से अवगत भी कराया गया था और उक्त कार्यों की पुनः जांच किये जाने का आग्रह किया गया था जिस पर प्रशासन के जिममेदार अधिकारीयों ने विना मौका मुआयना किये अपने कार्यालयों में ही जांच कर सचिव को दोषी ठहरा एफआईआर कराये जाने का फरमान जारी कर दिया   जिसके बाद सचिव द्वारा माननीय उच्च न्यायालय की शरण ली गई जिसमें न्यायालय द्वारा स्टे दिया गया था इसके बाद प्रशासन द्वारा उक्त स्टे की अवधि समाप्त हो जाने पर सचिव पर पुनः बसूली की कार्यवाही करते हुऐ एफआईआर का फरमान जारी कर सचिव को निलंवित कर दिया गया। यहां गौरतलब होगा कि यह मामला कोई नया नहीं है बल्कि विगत सन्2010 का है जिसमें प्रशासन का पक्ष मजबूज न होने के चलते आज तक चल रहा है। इसके विपरीत सचिव हरीश बैरागी द्वारा उकत प्रकरण से संबंधित सभी कार्यों की विभागीय जांच कराये जाने को लेकर जिला प्रशासन को लगातार आग्रह किया जा रहा है असके लिये सचिव द्वारा कई बार जन-सुनवाई कार्यक्रम के माध्यम से जिला कलैक्टर को भी आवेदन दिया गया है लेकिन आज दिनांक तक प्रशासन द्वारा उक्त पंचायत में विभागीय जांच का न कराना तथा जन सुनवाई में कई दफा आवेदन किये जाने पर भी जिला कलैक्टर द्वारा मामला संज्ञान में न लेने की बात समझ से परे है ।
यहां बताना लाजमी होगा कि अगर प्रशासन उक्त मामले में निष्पक्ष रूप से विभागीय जांच कराये तो सचिव हरीश बैरागी तो दोष मुक्त हो जाऐंगे लेकिन उस समय के तत्कालीन सरकारी अफसरों पर गाज गिरना तय है। और यही बह कारण भी है जिसके चलते प्रशासन उक्त प्रकरण में विभागीय जांच नहीं कर रहा है।

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