बिना विचारे जीभ के आधीन होकर यदि आपने अपने पेट का साथ दिया तो यह शरीर आपका ज्यादा समय साथ नहीं दे पाएगा। उपरोक्त उद्गार मुनि समता सागर महाराज ने शीतलधाम से ऑनलाइन संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि भजन, भोजन और शयन तो कम से कम निश्चित समय जो आपका है उसी समय कर लेना चाहिए। प्रातःकालीन दिनचर्या की शुरुआत यदि अच्छे से हो जाती है तो दिन भर अच्छे से बीतता है। इसलिए समय, साधन और स्थान का हमेशा ख्याल रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम चल रहे हैं और कांटा चुभ गया। क्योंकि हम देखभाल कर नहीं चले ।
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