कोरोना संकट में जिला स्वास्थ्य कार्यक्रमों में पिछड़ गया है। हाल ही में बाणगंगा अस्पताल में सेवाएं सुचारु करने के लिए तीन स्त्री रोग विशेषज्ञों को भेजा गया, लेकिन अब भी वहां सिजेरियन शुरू नहीं हो पाए।
वर्तमान में मेडिकल कॉलेज के अस्पताल एमवायएच के अलावा सिर्फ पीसी सेठी अस्पताल में ही सिजेरियन किए जा रहे हैं। जिला अस्पताल दो महीने से बंद है। इसके अलावा करोड़ों की लागत से बाणगंगा अस्पताल बनाया गया है। हुकुमचंद पॉलीक्लिनिक, नंदा नगर प्रसूति गृह में भी सिजेरियन नहीं किए जा रहे हैं।
यह बात सामने आने के बाद बुधवार को स्वास्थ्य अधिकारी बाणगंगा अस्पताल पहुंचे। पिछले दिनों जिला प्रशासन ने तीन स्त्री रोग विशेषज्ञ और एक फार्मासिस्ट की ड्यूटी भी यहां लगाई है, ताकि एमवायएच, पीसी सेठी अस्पताल पर लोड कम हो। दोपहर में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एमपी शर्मा ने सभी अस्पतालों में स्टाफ का रिकॉर्ड मांगा, ताकि जहां कम कर्मचारी हों, वहां भेजे जा सकें। डॉ. शर्मा ने बताया कि हमने पीसी सेठी अस्पताल सहित अन्य अस्पतालों से कुछ स्टाफ को बाणगंगा अस्पताल में भेजा है, ताकि वहां पर प्रस्तुति सेवाएं नियमित रूप से चलती रहें और सिजेरियन भी शुरू हो सके।
पीसी सेठी अस्पताल में लगी महिलाओं की कतार
अन्य अस्पतालों से महिलाओं और मरीजों को रैफर करने के कारण पीसी सेठी अस्पताल में मरीजों की तादाद बढ़ गई है, जबकि शहर में स्वास्थ्य विभाग के अस्पताल भी संचालित किए जा रहे हैं। इसके बावजूद एक ही अस्पताल में बड़ी संख्या में भीड़ इकट्ठा होती है। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं होता है।
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